Tuesday, April 27, 2010

संघर्ष…

योग्यता का अयोग्यता से
जब दुखों के काले मेघ,
छाये हृदय में......
घोर निराशा छा जाती है.
और उस निराश हृदय में,
कल्पना के अलावा
कुछ नहीं होता.....
क्या उसे ज्ञात है ...?
इस बदले हुए दौर में
लक्ष्य यूँ ही नहीं मिलता..
परिश्रम तो करते हैं
पर फल नहीं मिलता
यहाँ संघर्ष है......
योग्यता का अयोग्यता से
जो योग्य है,
वह गलियों में है फिरता
और जो अयोग्य है
वह पूंजी देकर
अपनी किस्मत
ही खरीद लेता...
दफ्तरों में लम्बी कतार
योग्य उम्मीदवार..........?
वहीँ बगल में बैठा है
एक और उम्मीदवार
जिनके हाथों में
सिफारिश का तार....
फिर किसकी हस्ती है
जो दे उसे पछाड़.
ऐसे है इस युग के
बड़े कर्णधार.....
जो सिफारिशों की महत्ता को
स्वीकारते है
और योग्यता को
अपने पैरों तले रौंद कर
चल पड़ते है
एक और........
अयोग्यता की तलाश में।

ओमप्रकाश चन्द्राकर "शैल"

1 comment:

  1. इसिलिए तो कहा गया है भईया कि जीवन मे सपने ज़रुर पालो पर उससे
    भी ज्यादा ज़रुरी है कि उसे पुरा करने की तारिख भी तय करों

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